एक छोटी सी मोमबत्ती एक दुकान के कोने में रखी थी. दुकान में कई सारे चमचमाते दीपक थे, झुमर थे और आकर्षक लैंप थे, लेकिन मोमबत्ती सिर्फ एक मामूली सी मोम थी, जिसके छोटे से ज्योत में हवा का एक झोंका भी हिला सकता था.
दिन भर दीपक और लैंप हंसते रहते थे. "देखो, हम कितने चमकदार हैं! हम सारे अंधकार को दूर भगा देते हैं! हर कोई हमें देखकर मुस्कुराता है!" वे मोमबत्ती का मज़ाक उड़ाते, "तुम्हारा तो बस एक धीमा, डगमगाता हुआ प्रकाश है. इससे क्या फ़ायदा?"
छोटी सी मोमबत्ती कुछ नहीं कहती थी. वो चुपचाप अपना काम करती रहती. जब शाम होती और दुकान में अंधकार छा जाता, तब दीपक और लैंप बंद कर दिए जाते. तभी, मोमबत्ती अपनी बाती जलाती और एक नरम, गर्म रोशनी फैलाती.
धीरे-धीरे लोग उसके प्रकाश की ओर आने लगे. बच्चे उसके पास बैठकर कहानियां सुनते. बूढ़े लोग उसकी रोशनी में आराम से बैठकर बातें करते. मोमबत्ती उनकी हंसी और खुशियों को देखती और उसे अपने अस्तित्व का अर्थ मिल जाता.
एक रात, भयानक तूफान आया. बिजली गुल हो गई और दुकान में घोर अंधकार छा गया. दीपक और लैंप बेकार हो गए. लेकिन छोटी सी मोमबत्ती अपनी रोशनी फैलाती रही. वो कमरे के कोने-कोने तक पहुंची और लोगों को भय दूर करने का हौसला दिया.
उस रात, लोगों को मोमबत्ती की चमक का महत्व समझ आया. वो न हंसी थी, न तमाशा, बल्कि उम्मीद और साहस की किरण थी. वो समझ गए कि असल में चमक तेज होने से नहीं, दूसरों के जीवन में रोशनी लाने से होती है.
सुबह होने पर, तूफान थम गया. सूरज की रोशनी में मोमबत्ती की लौ छोटी हो गई. लेकिन अब वो उदास नहीं थी. उसे अपने छोटे से प्रकाश से बड़ा काम करने का गौरव था. वो जानती थी कि वो भले ही बड़ी न हो, लेकिन अंधकार में वो ही थी जो आशा जगाती थी.
तो, दोस्तों, छोटी सी मोमबत्ती हमें सिखाती है कि चमक का आकार मायने नहीं रखता. दूसरों के जीवन में रोशनी फैलाने का प्रयास ही सबसे बड़ी चमक है. चाहे आप कितने भी छोटे हों, आप किसी के लिए उम्मीद की किरण बन सकते हैं. बस अपनी लौ जलाए रखें और दूसरों के जीवन को रोशन करें.
मुझे आशा है कि ये कहानी आपको प्रेरित करेगी!